लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2023 शहर की आवो हवा से दूर
शहर की आवो हवा से दूर
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" पापाजी अब आपको भी हमारे साथ शहर जाना ही होगा। अब आपको हम किसके सहारे छोड़ कर जायेगा। जब तक मम्मी थी तब तक तो हमने आप पर कोई दबाब नहीं बनाया। लेकिन अब आपको हमारे साथ चलना ही होगा।" सुमित अपने पापा से बोला।
ठीक है बेटा मै चलने को तैयार हूँ लेकिन मेरा वहाँ बिल्कुल भी मन नहीं लगता है क्यौकि मैं वहाँ किसी को नही जानता हूँ मै वहाँ जाकर बिल्कुल अकेला पड़ जाता हूँ। तुम दोनों तो अपनी अपनी ड्यूटी पर चले जाओगे। मुझसे कोई बात करने वाला भी नही है। हरि प्रसाद ने जबाब दिया।
हरिप्रसाद के बार बार मना करने के बाद भी दोनों बेटे नहीं माने और उनको शहर लेगये। हरिप्रसाद अपने गाँव में बहुत सुखी थे गाँव के सभी लोग उनका आदर करते थे। उनके हर सुख दुख में उनका साथ देते थे। जब उनकी पत्नी बीमार हुई थी तब पूरा गाँव आगया था और उनको शहर इलाज के लिए लेकर गया था।
उनके बेटे तो बहुत बाद में पहुँचे थे। इसी प्रेम के कारण वह शहर जाने से डर रहे थे। और उनको मालूम था कि शहर में सब मिलावट का सामान मिलता है। वहाँ की हवा सांस लेने के योग्य भी नहीं है वहाँ कितना प्रदूषण है ।
हरिप्रसाद शहर चलेगये और स्वयं को वहाँ के वातावरण में ढालने की कोशिश करने लगे। सब कुछ ठीक चल रहा था। एक रात को उन्होने जब छोटी बहू निर्मला को सुमित से शिकायत करते हुए सुना कि पापा को रखना हमारे अकेले की जिम्मेदारी तो नही है। बडे़ भाईसाहब को भी रखना चाहिए। आप बडे़ भैया से बात करलो कि पापा को एक एक महीने दोनों को रखना होगा। अब हम उनको छः महीने से रख रहे है तब बडे़ भाईसाहब को भी छः महीने रखना होगा।
बहू की यह बात सुनकर हरिप्रसाद बहुत दुःखी होगये ।और वह सोचने लगे कि क्या जमाना आगया आज कल की औलाद का बस चले तो माता पिता का बटबारा कर लें।
हरि प्रसाद अब बहुत ही दुःखी होगये क्यौकि दो दिन बाद बडा़ बेटा नवीन आया और उनको अपने साथ लेजाने लगा।
वह बहुत ही दुःखी मन से नवीन के साथ चले तो गये लेकिन वहाँ उनको खाने व रहने की बहुत परेशानी होने लगी। बडी़ बहू उनको जो खाना देती वह बचा हुआ खाना देती थी। जिससे वह परेशान रहने लगे।
वह अपने बेटे से बोले ," बेटा मेरा यहाँ दिल नही लग रहा है।। मै गाँव जाना चाहता हूँ। मुझे गाँव में कुछ काम भी है ।" उन्होंने बहाना किया।
बडी़ बहू भी यहीं चाहती थी कि वह गाँव चले जाय। क्यौकि वह उनको रखना नहीं चाहती थी। और एक दिन वह शहर को छोड़कर अपने गाँव बापिस आगये।
जब गाँव वालों ने गाँव बापिस आने का कारण पूछा तब वह बोले," मुझे शहर की आवो हवा अच्छी नहीं लगी वहाँ का रहन सहन अच्छा नही है। खाने की बस्तुऐं नकली अथवा मिलावट वाली मिलती है। उनको खाने से मै बीमार होजाता था। दूसरी बात बहू बेटे तो अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं और मैं वहाँ अकेला रह जाता था। मेरा समय नही कटता था इस लिए मैं गाँव बापिस आगया।
हरि प्रसाद ने अपना गाँव में ही रहने का इन्तजाम कर लिया। उन्होंने शहर जाने से साफ मना कर दिया।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
22-Jan-2023 07:34 PM
शानदार
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Gunjan Kamal
22-Jan-2023 09:50 AM
लाजवाब प्रस्तुति 👌🙏🏻
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:45 PM
Nice 👍🏼
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